March 28, 2024
gautam buddh ka janm kab hua tha

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय, सिद्धांत, उपदेश, और सुविचार

गौतम बुद्ध को बौद्ध धर्म का प्रवर्तक और श्रमण माना जाता है। क्योंकि इन्होंने ही बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार लोगों के बीच किया था। इन्होंने कई सालों की कड़ी तपस्या करके अपने जीवन को सामान्य जीवन से अलग बनाया था।

जिसके कारण हमें गौतम बुद्ध के जीवन से काफी कुछ सीखने को मिलता है। तो चलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम गौतम बुद्ध का जीवन परिचय जानते हैं और इनके सिद्धांत और विचारों को समझते हैं।

तो यदि आप भी गौतम बुध का जीवन परिचय जानना चाहते हैं और इनकी जीवनी से कुछ सीखना चाहते हैं तो आज के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय | gautam buddh ka jivan parichay

mahatma buddh ke jivan aur siddhant ka varnan kijiye
भगवान बुद्ध की जीवन कथा | gautam buddha history in hindi
नाम गौतम बुद्ध
जन्म का नाम सिद्धार्थ गौतम
अन्य नाम शाक्यमुनि
जन्म 563 ईसा पूर्व, लुंबिनी (वर्तमान नेपाल)
माता मायावती
पिता शुद्धोधन
पत्नी यशोदा
पुत्र राहुल
प्रसिद्धि का कारण विष्णु के अवतार, बौद्ध धर्म के निर्माता
संस्थापक बौद्ध धर्म
धर्म बौद्ध
जाति गौतम
मृत्यु 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर (प्राचीन भारत का एक शहर)
उम्र 80 वर्ष

गौतम बुध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी नामक गांव में हुआ था। इन्होंने क्षत्रिय वंश के शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में जन्म लिया था। इन की माता का नाम महामाया था जिनका देहांत इनके जन्म के 7 दिन बाद ही हो गया था। इसलिए इनका पालन-पोषण इनकी मां की छोटी बहन महाप्रजापति गौतमी ने किया था।

जन्म के बाद गौतम बुध का नाम सिद्धार्थ रखा गया था परंतु बाद में जब इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी तो उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ गया। इनका गोत्र गौतम था इस कारण इन्हें गौतम बुद्ध बुलाया जाता है।

जब गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोधन ने उनका जन्मोत्सव रखवाया था तब साधु दृष्टा आशिक ने गौतम बुद्ध जी के बारे में यह भविष्यवाणी की थी कि “गौतम बुद्ध या तो एक महान राजा बनेंगे या फिर एक महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेंगे”।

इसके बाद सिद्धार्थ ने अपने गुरु के पास वेद और उपनिषद का ज्ञान लिया और साथ ही युद्ध विद्या की भी शिक्षा ली। गौतम बुद्ध अपने बचपन से ही बहुत करुणामई थे और लोगों के लिए दया का भाव रखते थे। अक्सर जब घुड़दौड़ में घोड़ों के मुंह से झाग निकलने लगता था तो सिद्धार्थ घोड़ों को वहीं पर रोक देते थे और अपनी जीती हुई बाजी भी हार जाते थे।

कुछ समय बाद 16 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ यानी गौतम बुद्ध का विवाह यशोधरा से हो गया। जिनसे इन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई और उसका नाम राहुल रखा गया। सिद्धार्थ के पिता ने उनके और उनके परिवार के लिए लगभग सभी तरह के भोग विलास का प्रबंध किया था। उन्होंने तीन ऋतुओं के लिए अलग-अलग तीन सुंदर महल बनवाए थे।

परंतु यह सभी चीजें सिद्धार्थ को ज्यादा पसंद नहीं आती थी। एक दिन सिद्धार्थ बगीचे में सैर पर निकले थे तो उन्हें एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया, उसके अगले दिन उन्हें एक बीमार व्यक्ति दिखाई दिया और उसके अगले दिन उन्हें एक मृत व्यक्ति दिखाई दिया। इन तीनों को देखकर सिद्धार्थ का मन काफी विचलित हुआ और उन्हें लगा कि यह सारा जीवन केवल इसी भोग विलास में खत्म हो जाएगा।

लेकिन एक बार जब वे सैर पर निकले थे तो उन्हें एक सन्यासी दिखाई दिया जो केवल भक्ति में मग्न था और उसके चेहरे पर बहुत ही सौम्य और प्रसन्नता का भाव झलक रहा था। इस सन्यासी ने सिद्धार्थ को काफी ज्यादा आकर्षित किया था।

फिर एक दिन 29 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध अपनी पत्नी यशोधरा और राहुल को छोड़कर तपस्या करने के लिए चले गए थे। सबसे पहले वे औलाद का नाम से मिले और उनसे योग साधना सीखी। उसके बाद उन्होंने बिल्कुल खाना-पीना त्याग कर तपस्या शुरू की लेकिन बाद में उन्हें ऐसा लगा कि यदि सिद्धि हासिल करनी है तो आहार-विहार को छोड़ना सही नहीं होगा।

फिर 35 वर्ष की आयु में एक बार सिद्धार्थ पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान में मग्न थे और उस वन के पास के गांव में रहने वाली है कि स्त्री सुजाता को पुत्र हुआ था जिसके लिए वह पीपल के वृक्ष में अपनी मन्नत पूरी करने के लिए खीर चढ़ाने आई थी।

उसने सिद्धार्थ को वहीं बैठे ध्यान करते हुए देखा तो सुजाता ने वह खीर सिद्धार्थ को भेंट करें और कहा कि जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई है उसी तरह आप की भी जरूर होगी। फिर उसी रात जब सिद्धार्थ ध्यान लगा रहे थे तो उनकी साधना सफल हो गई और उन्हें सच्चा ज्ञान मिल गया। तभी से ही सिद्धार्थ बुध कहलाने लगे और वह पीपल का वृक्ष बोधि वृक्ष कहलाने लगा। और वह स्थान बोधगया कहलाया।

इसके बाद धीरे-धीरे बुद्ध जी अलग-अलग जगहों पर भ्रमण करके बौद्ध धर्म का प्रचार करने लगे। उन्होंने अपनी 80 वर्ष तक की आयु में पाली भाषा का आविष्कार किया और उसका प्रचार भी किया। अब लोग संस्कृत के बजाय पाली भाषा को अपनाने लगे थे क्योंकि यह सीधी और सरल थी।

कुछ समय पश्चात गौतम बुद्ध बुद्ध धर्म का उपदेश देने के लिए निकल पड़े थे। फिर आज शाम को जब वे काशी के पास पहुंचे तब उन्होंने वहीं पर अपना सबसे पहला धर्म उपदेश दिया था और अपने पहले 5 मित्रों को अपना अनुयाई बनाया था।

इन के अनुयायियों में सबसे पहले इनकी मौसी महा प्रजापति गौतमी को प्रवेश मिला। इन का एक शिष्य आनंद भी था जो कि इनका सबसे प्रिय शिष्य कहलाया जाता है।

80 वर्ष की आयु में उन्होंने यह घोषणा की कि अब वे परी निर्माण के लिए जल्द ही जाएंगे। इसके बाद इन्होंने अपना आखिरी भोजन एक कुंडा नामक लोहार से भेंट के रूप में खाया था जिसके बाद ही इनकी गंभीर रूप से तबीयत खराब हो गई थी।

इसके बाद ही महात्मा गौतम बुद्ध का देहांत कुशीनगर गांव में 80 साल की उम्र में हो गया फुलस्टॉप लेकिन इसके पहले ही गौतम बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनंद को यह निर्देश दिया था कि वे उस लोहार को जाकर समझाएं कि उसका खाना अतुल्य है और मृत्यु जीवन काल का एक सत्य है।

गौतम बुद्ध कौन थे? | about gautam buddha in hindi

गौतम बुद्ध राजा शुद्धोधन के पुत्र थे जिनका नाम सिद्धार्थ था। इन के ज्ञान प्राप्ति के बाद यह गौतम बुद्ध कहलाने लगे। क्योंकि इनका जन्म गौतम गोत्र में हुआ था और इन्हें सच्चे ज्ञान का बोध हुआ था

जिसके कारण इनका नाम बुध रखा गया। इसके साथ ही गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे जिन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की और पाली भाषा का भी प्रचार प्रसार किया।

गौतम बुध का जन्म कब हुआ? | gautam buddh ka janm kahan hua tha

गौतम बुध का जन्म आज से 563 ईसा पूर्व हुआ था। इन्होंने लुंबिनी नामक गांव में जन्म दिया था जो कि आज नेपाल में स्थित है। इनका जन्म क्षत्रिय वंश के शाक्य कुल में हुआ था।

गौतम बुद्ध कौन से भगवान को मानते थे? | gautam buddha kon se bhagwan ko manta tha

gautam buddh ke bachpan ka naam kya tha
महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय | gautam buddha ka jivan parichay

ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध किसी भी भगवान को नहीं मानते थे। वह सभी धर्मों को एक ही समझते थे और उनके लिए सभी इंसान भी समान थे। गौतम बुद्ध केवल साधना किया करते थे।

गौतम बुद्ध ने किसी भी धर्म के भगवान को नहीं अपनाया था बल्कि अपना एक खुद का धर्म स्थापित किया था जिसका नाम बौद्ध धर्म है।

यदि देखा जाए तो गौतम बुद्ध हिंदू धर्म से ही थे लेकिन उन्हें हिंदू सनातन धर्म के नियम ज्यादा पसंद नहीं थे जिसके कारण उन्होंने इस धर्म का त्याग कर दिया था। गौतम बुध का मानना था कि हिंदू धर्म इंसानों को अलग-अलग रूपों में भी देखता है परंतु गौतम बुध सभी इंसान को एक ही मानते थे।

गौतम बुद्ध के सिद्धांत | gautam buddha ke siddhant in hindi

गौतम बुद्ध ने अपने बौद्ध धर्म ग्रंथ में तीन सिद्धांत बताए हैं। अनीश्वरवाद, आत्मवाद और क्षणिकवाद।

अनीश्वरवाद का अर्थ है कि इस ब्रह्मांड को कोई भी ईश्वर नहीं चलाता है और ना ही इसका कोई उत्पत्ति करता है। यानी कि इस ब्रह्मांड का ना तो प्रारंभ है और ना ही अंत। गौतम बुद्ध ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं रखते थे क्योंकि उनका मानना यह था कि यह दुनिया प्रतीत्यसमुत्पाद के नियमों पर चलती है।

अनात्मवाद का अर्थ यह नहीं है कि आत्मा नहीं है बल्कि आत्मा हमारी चेतना का एक अवश्य प्रवाह है जो किसी भी समय अंधकार में लीन हो सकता है। जब तक आप स्वयं को नहीं जान लेते तब तक आपका आत्मा वान नहीं हो सकता। निर्माण की अवस्था यानी मृत्यु के बाद आत्मा अनंत काल तक अंधकार में चली जाती है या फिर दूसरा जन्म लेकर फिर से इस जन्म मृत्यु के चक्र में शामिल हो जाती है।

क्षणिकवाद का अर्थ है कि इस संसार में कुछ भी लंबे समय तक नहीं रहेगा। सब कुछ क्षणिक है और नश्वर है। जैसे यदि खुशियां कुछ समय के लिए है तो कुछ समय बाद दुख भी होगा फुलस्टॉप और दुख के बाद सुख भी आएगा।

गौतम बुद्ध के उपदेश | gautam buddha ke updesh in hindi

ऐसे तो गौतम बुद्ध ने अपने जीवन काल में कई उपदेश दिए हैं लेकिन हम यहां पर गौतम बुद्ध के उपदेशों का सार बता रहे हैं।

  • गौतम बुद्ध के उपदेश में चार आर्य सत्य शामिल है दुख समुदाय निरोध और मार्ग
  • गौतम बुद्ध ने हिंदू धर्म के कुछ चीजों का प्रचार किया है जैसे अग्निहोत्र और गायत्री मंत्र जो कि हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है।
  • गौतम बुद्ध का योग देश है कि ध्यान तथा अंतर्दृष्टि हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • महात्मा बुद्ध ने मध्य मार्ग का अनुसरण करने का उपदेश दिया है। मध्य मार्ग ही महात्मा बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग हैं।

गौतम बुद्ध सुविचार | gautam buddha suvichar in hindi

गौतम बुद्ध ने ऐसे कई विचार दिए हैं जिनसे हमें काफी शिक्षा मिलती है। गौतम बुद्ध ने अपनी सुविचार से जीवन को बेहतर तरीके से जीना बताया है।

  • गौतम बुद्ध ने कहा है कि इंसान जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है।
  • महात्मा बुध का कहना है कि जीवन में यदि व्यक्ति स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेता है तो वह जीवन की सारी लड़ाई उसे हमेशा जीत जाता है।
  • गौतम बुद्ध के अनुसार बुराई से बुराई को नहीं बल्कि प्रेम से बुराई को खत्म किया जा सकता है।
  • बुद्ध के अनुसार वर्तमान समय में जीना भविष्य काल और भूतकाल के बारे में सोचने से ज्यादा बेहतर है।
  • बुद्ध कहते थे कि जंगली जानवर की अपेक्षा बुरे इंसानों से ज्यादा बचकर रहें क्योंकि एक बुरा इंसान या बुरा मित्र हमारे दिमाग को खराब कर सकता है बल्कि जानवर केवल हमारे शरीर को ही नुकसान पहुंचाते हैं।

गौतम बुद्ध के गुरु का नाम | gautam buddha ke guru ka naam kya tha

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गौतम बुद्ध का जीवन परिचय | mahatma buddh ke jivan aur siddhant ka varnan kijiye

गौतम बुद्ध के जीवन काल में उनके 3 गुरु रहे हैं। पहला वे जिनसे इन्होंने अपने बचपन में शिक्षा दीक्षा प्राप्त की और दूसरै व तीसरे वे जिनसे इन्होंने ध्यान की साधना करना सीखा।

गौतम बुध के पहले गुरु का नाम विश्वामित्र था जिनसे इन्होंने वेदों का ज्ञान लिया। और राजकाज और युद्ध विद्या का विज्ञान लिया।

इनके दूसरे गुरु का नाम आलार कालाम था, इनसे इन्होंने योग साधना सीखी थी। संसार को त्यागने के बाद इनकी मुलाकात औलाद कलम से हुई थी जिनसे इन्होंने सन्यास से संबंधित शिक्षा प्राप्त की थी।

गौतम बुद्ध के तीसरे गुरु का नाम उद्दाका रामापुत्त है, जिनसे उन्होंने अपने सन्यास काल में कई शिक्षा प्राप्त की थी और साथ ही योग से संबंधित भी शिक्षा दीक्षा प्राप्त की थी।

गौतम बुद्ध की पत्नी का नाम | gautam buddha ke putra ka naam kya hai

गौतम बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था। उनका विवाह 16 वर्ष की उम्र में ही यशोधरा से हो गया था और उसके कुछ समय बाद यशोधरा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम राहुल रखा गया।

ऐसा भी कहा जाता है कि गौतम बुद्ध ने एक दिन अपनी पत्नी यशोदा और बेटे राहुल को रात में ही सोता हुआ छोड़कर वन में चले आए थे।

गौतम बुद्ध की मृत्यु | Death of Gautama Buddha

गौतम बुद्ध ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में कुंदा नामक लोहार से भोजन ग्रहण किया था। उन्होंने महसूस किया कि उनकी मृत्यु का समय निकट था, इसलिए उन्होंने अपने परिचारक आनंद से कहा कि वह कुंडा को बताएं कि उनका भोजन बहुत अच्छा है और गौतम बुद्ध की मृत्यु उनके भोजन के कारण नहीं बल्कि वृद्धावस्था के कारण हुई थी।

भगवान महात्मा गौतम बुद्ध की मृत्यु लगभग 483 ईसा पूर्व में 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में हुई थी।

उनकी मृत्यु के ठीक-ठीक वर्ष का उल्लेख नहीं है, इसलिए उनकी मृत्यु के बारे में दो वर्ष का अनुमान लगाया गया है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार उनकी मृत्यु 483 ईसा पूर्व में हुई थी और कुछ स्रोतों के अनुसार उनकी मृत्यु 400 ईसा पूर्व में हुई थी।

उनके अंतिम संस्कार में दूर-दूर से साधु-संत और बड़े-बड़े लोग आए और फूलों की वर्षा और संगीत के साथ भगवान गौतम बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने गौतम बुद्ध का जीवन परिचय जाना गौतम बुद्ध की जीवनी | gautam buddha in hindi। उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको जीवन से संबंधित कई नई सीख मिल पाई होगी। यदि आप इसी प्रकार और भी विषयों से संबंधित जानकारी पाना चाहते हैं तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताएं।

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